Wednesday, August 13, 2008

पर्यटन – भाग-2: कुहू का बस्तर भ्रमण

मेरे प्यारे दोस्तों,

पिछले अंक में मैंनें आपको बस्तर के इतिहास से परिचित कराया था साथ ही साथ बारसूर और दंतेवाडा नगरों की सैर भी। आज मेरे पिटारे में एसे प्राकृतिक स्थल है।यहाँ पहुँच कर यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आप खो जायेंगे वैज्ञानिक सोच रखते हैं तो अपने आगे रहस्यों और ज्ञान की कई परतों को खुला पायेंगे और अगर कवि या साहित्यकार हैं तो फिर तौबा, आपको तो वहाँ से उठा कर ही लाना पडेगा।

जगदलपुर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भारत के विशाल जलप्रपातों में एक चित्रकोट।


लगभग 100 फीट की उँचायी से गिरती हुई इन्द्रावती नदी विहंगम दृश्य उत्पन्न करती है। यह जलप्रपात नियाग्रा जलप्रपात का छोटा रूप कहा जाता है।
कमजोर चूना पत्थर को गलाती, काटती नदी नें अर्धचंद्राकार स्वरूप ले लिया है। शोर करती और निरझर होती नदी निकट ही उपर उठते फुहारों और इंद्रधनुष के रंगो को बिखेर देती है। बस्तर आने वाले पर्यटक यदि इस जलप्रपात को देखें तो उनका घूमना व्यर्थ ही माना जायेगा।
जुलाई से अक्टूबर के मध्य इस स्थल को देखना सर्वोत्तम है, मानसून में इंद्रावती नदी अपने पूरे वेग पर होती है इसलिये चित्रकोट का सौन्दर्य दुगुना हो जाता है।जलप्रपात के निकट तक नौकाटन का आनंद लिया जा सकता है। निकट की कुछ छोटी छोटी गुफायें हैं जिन्हें मंदिर का स्वरूप दे दिया गया है।
अब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की ओर बढते हैं। यह उद्यान जंगली भैंसों के लिये जाना जाता है। दोस्तों, जंगली भैंसे रंग और स्वरूप में आम भैसों की तरह लगते हैं किंतु देह, कद और काठी मे बलिष्ठ।
उनके विशाल सींग उनके सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं। साल और टीक के घने दरखतों वाला इस राष्ट्रीय उद्यान जैव-विविविधता के विश्व में गिने चुने धरोहरों में से एक है।
जीव जंतुओं की तो बडी तादाद यहाँ है ही लाईमस्टोन (चूना पत्थर) तहा के धरातल को कई प्राकृतिक खजाने भी दे गया है जिनमें प्रमुख है कोटुमसर गुफा।
राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में ही इस गुफा के होने का लाभ यह है कि आपको मामूली फीस पर उद्यान के मुख्यद्वार पर ही गाईड मिल जाता है जो कि आपके साथ पैट्रोमेक्स अथवा सौर-उर्जा से जलने वाले प्रकाश स्त्रोत ले कर चलता है। गुफा के भीतर गहरे उतरते हुए साँसे थम जाती है और पाताललोक में प्रवेश जैसा भान होता है।
गाईड के निर्देशों का पालन करते हुए एक बार आप गहरे उतरे नहीं कि ज्ञान और सौदर्य के द्वार आपके लिये खुल जाते हैं। चूनापत्थर ने (लाईम स्टोन) पानी के साथ क्रिया करने के बाद गुफा की दरारों से रिस रिस कर स्टेलेक्टाईट अथवा आश्चुताश्म (दीवार से नीचे की ओर लटकी चूना पत्थर की रचना: छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं। इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं। अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा गुफा की छत पर पदार्थों जमा होने लगता हैं इस निक्षेप की आक्र्ति परले स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं)



स्टेलेक्माईट अथवा निश्चुताश्म (जमीन से दीवार की ओर उठी चूना पत्थर की संरचना: छत से टपकता हुवा जल फर्श पर धीरे-धीरे एकत्रित होता रहता हैं । इससे फर्श पर भी स्तंभ जैसी आकृति बनने लगती हैं। यह विकसित होकर छत की ओर बड़ने लगती हैं)

और पिलर अथवा स्तंभ (जब स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईट मिल जाते हैं) संरचनायें बनायी हैं। इस गुफा में खास देखी जाने योग्य है बिना आँख की मछली – “कैपिओला शंकराईकेवल इसी जगह पायी जाने वाली इस मछली का नाम उसके खोजी डॉ. शंकर तिवारी के नाम पर पड गया था। मछलियों में आँख का होना गुफा के भीतर रोशनी के होने के कारण है। गुफा के अंतिम छोर पर एक स्टेलेक्माईट का स्वरूप शिवलिंग की तरह है और पर्यटक वहा पहुँच कर पूजन भी करते हैं। मैं इस स्थल तक पहुँचने के रोमांच को कभी नहीं भुला सकती।
दोस्तों विज्ञान की इन्ही बातों के साथ हम अपने बस्तर भ्रमण के इस अंक को विराम देते हैं लेकिन अभी मेरी यात्रा पूरी नहीं हुई। बस्तर के और भी दुर्लभ स्थलों की यात्रा शेष है।


- - आपकी कुहू।

प्रस्तुति : *** राजीव रंजन प्रसाद

6 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बहुत प्यारी सी कुहू बिटिया के साथ बस्तर का भ्रमण बहुत शानदार रहा...जल प्रपात और गुफा के दृश्य अद्भुत थे.....कुहू अपने पापा से पूछू की वो तुमको खोपोली लेकर कब आयेंगे...क्यूँ की यहाँ भी ऐसे अजूबे खूब हैं...
नीरज

Manish Kumar said...

achcha vivran aur jaandaar photographs

Udan Tashtari said...

जितना खूबसूरत विवरण, उतनी ही खूबसूरत तस्वीरें. अच्छा लगा.

Anil Pusadkar said...

badhiya likha,chitra b hi achhe hain,khaaskar kuhoo

योगेन्द्र मौदगिल said...

शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो

Chitrakot me neeche ja kar naha kar ooper aao to banda pasina-pasina.
badiya chadai hai
aaj to main yeh post dekh kar
ghar par hi naha liya...

wah bhai wah
sunder chitran
mohak chitran

Smart Indian said...

स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं! वंदे मातरम!
बहुत सुंदर आलेख है. चित्रों से इसकी उपयोगिता बढ़ गयी है.
कुहू को आशीष.